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ज़िन्दगी गुलज़ार है

२७ अक्टूबर – जारून

आज से मेरी आज़ादी और बेफिक्री के दिन शुरू हो रहे हैं. कल सी.एस.एस. का आखिरी पेपर था और आज मैं दोपहर तक सोता रहा हूँ और अब उठने के बाद मैं ख़ुद को बिल्कुल आज़ाद और मुतमइन (बेफ़िक्र) महसूस कर रहा हूँ. अभी मुझे इंटरव्यू क्वालीफाई करना है और फिर फाइनल इयर के पेपर भी देने हैं, मगर अब मैं उनके बारे में ज्यादा परेशान नहीं हूँ. अब मैं सिर्फ़ ये चाहता हूँ कि मेरा सी.एस.एस. का रिजल्ट बहुत अच्छा आये, तभी अपनी मर्ज़ी के डिपार्टमेंट में जा सकता हूँ.

 पिछले दो माह से मैं कॉलेज को तो जैसे भूल ही गया था और अब कल से फिर वहाँ जाना शुरू करूंगा और आज मैं कॉलेज को बहुत मिस कर रहा हूँ. वहाँ की हर चीज़ मुझे याद आ रही है, हत्ता की (यहाँ तक कि) कशफ़ भी.

अच्छा ही हुआ कि मैंने माज़रत (माफ़ी मांगना) कर ली, गलती वाकई मेरी थी और पता नहीं क्यों मेरा दिल उसे देखने को चाह रहा है, हालांकि मैं जानता हूँ कि जब मैं कॉलेज जाना शुरू करूंगा, तो वो मुझे देखेगी भी नहीं और अगर मैं उससे बात करने की कोशिश करूंगा, तो वो शायद भाग ही जाए. मगर फिर भी आज मैं इतना ख़ुश हूँ कि मुझे उस पर गुस्सा नहीं आया.

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2 Comments

Radhika

09-Mar-2023 04:28 PM

Nice

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Alka jain

09-Mar-2023 04:15 PM

बेहतरीन

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